Thursday, May 8, 2014

प्रदेश में बनेगा देश का पहला बीज बैंक



खाद्यान्न, दलहन, तिलहन और औषधीय पौधों की 40 हजार से अधिक विविध देसी किस्मों के संरक्षण देने के लिए राजस्थान देश का पहला बीज बैंक बनाएगा। इसका उद्देश्य पौष्टिकता और गुणवत्तायुक्त देसी किस्मों की बुवाई बढ़ावा देना और किसानों को प्रोत्साहित करना है। साथ ही हर साल बहुराष्ट्रीय और बड़ी कंपनियों के करोड़ों रुपए के बीज बिक्री मार्केट के एकाधिकार को खत्म कर किसानों को महंगी दरों पर हर बार बीज खरीदने से राहत दिलाना है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के निर्देश के बाद कृषि विभाग ने बीज बैंक बनाने के लिए कवायद शुरू कर दी है।

कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने विभाग के अधिकारियों को 1960 से लेकर अब तक प्रचलन में चल रही और लुप्त होने के कगार पर पहुंची देसी किस्मों की हर जिले से पूरी जानकारी जुटाकर उन बीजों के सैंपल जुटाने के निर्देश दिए है। इसके लिए जयपुर में एक अलग से बिल्डिंग बनाई जाएगी, जिसमें हजारों प्रकार की किस्म और उनकी खासियत की विस्तृत जानकारी का बैंक बनेगा।

प्रदेश में अकेले औषधीय पौधों की 15 हजार से अधिक किस्में है, जिनमें से अधिकतर जानकारी के अभाव और उपेक्षा के चलते लुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है। बैंक बनने के बाद विशेष किस्मों के बीजों का राज्य सरकार पेटेंट भी करवाएगी। इसके अलावा राज्य सरकार विशेषज्ञों को इन देसी किस्म के बीजों पर शोध करके उनमें उत्पादन बढ़ाने के लिए सुधार करने के लिए आमंत्रित करेगी।


अभी हाईब्रिड बीजों की बुआई से उत्पादन तो बढ़ा है, लेकिन खाद्यान्न की पौष्टिकता और गुणवत्ता लगातार कम होती जा रही है। इसका सीधा असर हर व्यक्ति के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। जबकि राजस्थान में किसान बाजरा, गेहूं, ज्वार, मक्का, जौ, धनिया, जीरा, सरसो, मूंग, मोठ, उड़द, ब्राह्मी, कौंच, अरंडी, सर्पगंधा, मुलेठी, खस, अजवायन, सौंफ समेत हजारों किस्मों के जो परंपरागत तरीके से संजोकर रखे गए बीजों से बुआई करता था, उनमें औषधीय गुणवत्ता और पौष्टिकता मौजूद रहती है।


परंपरागत बीजों की खासियत ये है कि ये किसान के घड़े में सुरक्षित रहते हैं। हर बार उपज में से अच्छा बीज किसान घड़े में रख देता है, जिससे वो बुआई करता है। इसमें अलग से एक रुपए भी खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती। दूसरी तरफ हाईब्रिड बीज बेहद महंगी दर पर खरीदकर बुआई करनी पड़ती है। यह बीज वंशहीन (टर्मिनेटेड ) होता है। उत्पादित होने वाली फसल का बीज किसान बुआई नहीं कर सकता। उसको हर बार मार्केट से नया बीज खरीदकर लेना पड़ता है।


कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी के मुताबिक खाद्यान्न, दलहन, तिलहन और औषधीय पौधों के संरक्षण के लिए कृषि विभाग देश का पहला बीज बैंक बनाएगा। हर जिले से विस्तृत जानकारी भेजने, जुटाने के निर्देश दे दिए हैं। इससे हमारे परंपरागत बीजों का संरक्षण होगा और किसान खुद के बीज से ही बुआई कर सकेगा। इससे प्रदेश के किसानों को हजारों करोड़ रुपए का सीधा फायदा होगा। हमारे बीजों में शोध के साथ ही खेती करने से आमजन को पौष्टिक और गुणवत्तायुक्त खाद्य सामग्री उपलब्ध हो सकेगी।

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