- गवरी (राई):-गवरी उत्सव पार्वती की आराधना में 40 दिन चलता है
- इसमें शिव व भस्मासुर की कथा का अधिक प्रचलन है
- गैर :-होली के अवसर पर भील पुरुषों द्वारा किया जाने वाला सामूहिक वृताकार नृत्य
- नेजा :-होली व मांगलिक अवसरों पर भील स्त्रियों का सामूहिक खेल - नृत्य
- द्विचक्री :-इस नृत्य को विवाह व मांगलिक अवसरों पर किया जाता है
- इस नृत्य में पुरुष बाहरी व महिलाएं अंदर के वृत्त में नाचती है
- घुमरा :-इस नृत्य को मांगलिक अवसरों पर भील महिलाओं द्वारा ढोल व थाली पर किया जाता है
- हाथीमना:-यह विवाह के अवसर पर किया जाता है
- युद्ध नृत्य :-दो दलों द्वारा युद्ध का अभिनय करते हुए किया जाता है
गरासिया जनजाति के नृत्य
- वालर :-यह नृत्य बिना किसी वाद्य यंत्र के स्त्री -पुरुषों द्वारा दो अर्धवृतों में धीमी गति से किया जाता है
- कूद :- यह नृत्य गरासिया स्त्री -पुरुषों द्वारा तालियों की ध्वनि पर किया जाता है
- जवारा:-यह नृत्य होली दहन के समय किया जाता है
- मोरिया :-विवाह के अवसर पर पुरुषों का सामूहिक नृत्य
- लूर:-लूर गौत्र की गरासिया स्त्रियों द्वारा वधु पक्ष से रिश्ते की मांग करने के लिए किया जाता है
- मांदल:-यह नृत्य मांगलिक अवसरों पर स्त्रियों द्वारा किया जाता है
- गौर :-गणगौर पर यह नृत्य स्त्री -पुरुषों द्वारा सामूहिक रूप से किया जाता है
- रायण:-मांगलिक अवसरों पर पुरुषों द्वारा किया जाने वाला नृत्य
No comments:
Post a Comment