- रूस में 14 जून से 21वें फुटबॉल विश्वकप की शुरुआत होगी।
- 32 देशों के खिलाड़ी इसमें हिस्सा लेंगे
- फीफा वर्ल्ड कप में बॉल के डिजाइन में समय के साथ-साथ बहुत बदलाव हुए है 2010 में दक्षिण अफ्रीका में जाबुलानी तो 2014 में ब्राजील में ब्राज़ूका गेंद फुटबॉल विशेषज्ञों के बीच चर्चा में रही थी
- इस बार 1970 और 1974 वर्ल्ड कप में इस्तेमाल की गयी टेलस्टर बॉल की वापसी होगी
- इस बॉल में 32 की जगह 6 पैनल होंगे
- इस बॉल में चिप लगाई गई है जिससे गेंद को स्मार्ट फोन से कनेक्ट कर सकते है तथा खेल से जुड़े कई अहम आंकड़े प्राप्त कर सकते हैं
- इस बॉल को 3डी डिजाइन में बनाया गया है
- टेलस्टर-18 गेंद पाकिस्तान के सियालकोट शहर में बनी है जिसका 12 देशों के 600 से ज्यादा खिलाड़ियों ने टेस्ट किया है जिसमें लियोनल मेसी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो समेत अन्य खिलाड़ी भी शामिल हैं।
- 1930 में इसका उद्घाटन हुआ , इसके बाद हर चार साल से आयोजित किया जाता है
- 1942 और 1946 में द्वितीय विश्व युद्ध के कारण से फीफा का आयोजन नहीं किया गया था
- 2014 में फीफा वर्ल्ड कप जर्मनी ने जीता था
- सबसे ज्यादा बार ख़िताब ब्राजील (5 बार ) ने जीता है
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 5 दिवसीय दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर
- इस दौरान वह दक्षिण अफ्रीका के शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगी तथा ब्रिक्स एवं आईबीएसए की बैठकों में भी हिस्सा लेंगी.
- ब्रिक्स(ब्राजील,रूस ,इंडिया ,चीन ,साउथ अफ्रीका ) एवं आईबीएसए या इब्सा(इंडिया ,ब्राजील ,साउथ अफ्रीका ) ऐसे दो प्रमुख समूह हैं , जिनमें भारत अहम भूमिका निभा रहा है
- विदेश मंत्री सुषमा स्वराज दक्षिण अफ्रीका के पीटरमैरिट्जबर्ग रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन के डब्बे से महात्मा गांधी को उतारने की घटना के 125 साल पूरा होने के उपलक्ष्य में वहां आयोजित होने वाले कई कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेंगी
अग्नि-5 मिसाइल का परीक्षण कामयाब
- ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से रविवार को स्वदेशी अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया।
- यह 1.5 टन एटमी हथियार के साथ सतह से सतह पर 5000 किलोमीटर तक सटीक निशाना साध सकती है।
- इससे पहले भी पांच सफल परिक्षण किये गए चुके है, यह स्वदेशी तकनीक है
- इसकी खासियत इसका अत्याधुनिक नेविगेशन सिस्टम है।
- ये बेहद सटीक जानकारी देने वाली रिंग लेजर गायरो बेस्ड इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (रिंस) तकनीक और अत्याधुनिक माइक्रो नेविगेशन सिस्टम (मिंस) तकनीक से लैस है।
- मिसाइल जब धरती के वायुमंडल में आती है, तो हवा के घर्षण से इसकी सतह का तापमान 4000 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा हो जाता है।लेकिन स्वदेशी तकनीक से बनी कार्बन शील्ड इसका तापमान नहीं बढ़ने देती व मिसाइल के अंदर का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस बनाए रखती है।
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