- प्रतिवर्ष 17 अप्रैल को हिमोफिलिया दिवस के रूप में मनाया जाता है
- दुनिया भर में हिमोफिलिया से पीड़ित लोगों में आधे लोग भारत में है
- यह एक आनुवांशिक बीमारी है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में फैलती है
- इसमें चोट लगने पर या दुर्घटना होने पर रक्त का थक्का नहीं जमता है तथा अधिक रक्त का स्त्राव होता है
- इस रोग का कारण रक्त प्रोटीन की कमी होती है, जिसे 'क्लॉटिंग फैक्टर' कहा जाता है,यह प्रोटीन बहते हुए रक्त के थक्के जमाकर उसका बहना रोकता है।
घग्घर नदी
- इसका उद्गम हिमाचल प्रदेश में कालका के पास शिवालिक श्रेणी की पहाड़ियों से होता है
- सरस्वती ,दृष्द्वती तथा मृत आदि उपनामों से भी जाना जाता है
- यह नदी पंजाब व हरियाणा में बहने के पश्चात् टिब्बी (हनुमानगढ़ ) के पास राजस्थान में प्रवेश करती है
- सामान्यता यह नदी भटनेर (हनुमानगढ़ ) के समीप ही विलुप्त हो जाती है लेकिन अधिक वर्षा होने पर सूरतगढ़ (गंगानगर ) तक बहती है तथा पाकिस्तान के बहावलपुर जिले तक चली जाती है व अंत में फोर्ट अब्बास नामक स्थान पर समाप्त हो जाती है
- घग्घर नदी का पाट क्षेत्र 'नाली' कहलाता है
- यह एक मौसमी नदी है
- इस नदी की लम्बाई 465 किलोमीटर है
- हनुमान गढ़ जिले की कालीबंगा सभ्यता इसी नदी के किनारे विकसित हुयी
- इसे हरयाणा के ओटू वीयर बाँध से पहले घग्गर नदी के नाम से और उसके बाद हकरा नदी के नाम से जाना जाता है
कांतली नदी
- इस नदी का उद्गम सीकर जिले में खंडेला की पहाड़ियों से होता है
- इसकी लम्बाई 100 किलोमीटर है
- सीकर जिले में इसके अपवाह क्षेत्र को तोरावाटी कहते है
- सीकर से यह झुंझुनू जिले में प्रवेश कर चूरू जिले की सिमा पर मँडरेला ( झुंझुनू ) गावं में विलुप्त हो जाती है
- सीकर जिले की गणेश्वर सभ्यता का विकाश 5000 साल पहले इसी नदी के तट पर हुआ था
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