पृथ्वी
पृथ्वी सौरमंडल का एक गृह है
इसकी दो गतियाँ है
पृथ्वी सौरमंडल का एक गृह है
इसकी दो गतियाँ है
- 1. घूर्णन अथवा दैनिक गति:- पृथ्वी सदैव अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की और घूमती रहती है जिसे 'पृथ्वी का घूर्णन या परिभ्रमण' कहते है इसके कारन दिन व रात होते है , अतः इस गति को 'दैनिक गति ' भी कहते है
- 2. परिक्रमण अथवा वार्षिक गति:-पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमने के साथ -साथ सूर्य के चारों और एक अंडाकार मार्ग पर 365 दिन तथा 6 घंटे में एक चक्कर पूरा करती है , पृथ्वी की इस गति को परिक्रमण अथवा वार्षिक गति कहते है
- पृथ्वी के परिक्रमण की अवस्थाएं :-पृथ्वी के परिक्रमण में चार मुख्य अवस्थायें आती है तथा इन अवस्थावों में ऋतू परिवर्तन होते है
- 21 जून की िस्थती:-इस समय सूर्य कर्क रेखा पर लंबवत चमकता है इस िस्थति को ग्रीष्म अयनांत कहते है
- 22 दिसंबर की िस्थती:-इस समय सूर्य मकर रेखा पर लंबवत चमकता है, जिसे शीत अयनांत कहते है
- 21 मार्च व 23 सितम्बर की ेस्थतिया:-इन दोनों ेस्थतियों में सूर्य विषुवत रेखा पर लंबवत चमकता है अतः इस समय समस्त अक्षांश रेखाओं का आधा भाग सूर्य का प्रकाश प्राप्त करता है अतः सभी जगह दिन व रात की अवधि बराबर होती है 21 मार्च की िस्थती को बसंत विषुव तथा 23 सितम्बर की िस्थती को शरद विषुव कहा जाता है
- उपसौर :-पृथ्वी जब सूर्य के अत्यधिक पास होती है तो इसे उपसौर कहते है ऐसा 3 जनवरी को होता है
- अपसौर:-पृथ्वी जब सूर्य से अधिकतम दुरी पर होती है तब अपसौर होता है ऐसा 4 जुलाई को होता है
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