- प्रतिवर्ष 24 मार्च को वर्ल्ड टीबी दे मनाया जाता है
- टीबी (टयूबरकलोसिस) रोग माइकोबैक्टीरियम टयूबरकलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है
- सबसे कॉमन फेफड़ों की टीबी है लेकिन यह ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गला, हड्डी आदि शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है
- इसके दो प्रकार है :-
- पल्मोनरी टीबी :-इस प्रकार की टीबी में फेफड़े संक्रमित होते है
- फेफड़ो की टीबी में सांस लेने में कठिनाई ,साइन में दर्द लगातार खांसी व बलगम आना है
- एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी :-इस प्रकार की टीबी में फेफड़ो के अलावा शरीर के दूसरे अंग प्रभावित होते है
- इस प्रकार की टीबी में जो अंग प्रभावित होता है लक्षण उसी प्रकार होते है जैसे :-रीढ़ की हड्डी में टीबी होने पर कमर दर्द ,किडनी की टीबी में यूरिन में रक्त आना ,दिमाग की टीबी से ीबी का दौरा ,बेहोसी ,मिर्गी तथा पेट की टीबी से पेट दर्द ,दस्त आदि
- लक्षण :-शारीरिक कमजोरी ,थकान,दर्द ,भूख न लगना,वजन में कमी तथा हल्का बुखार आदि सामान्य लक्षण है
- संक्रमण :-टीबी का संक्रमण रोगी के खांसने,छींकने तथा प्रयोग में ली गयी वस्तुओं से फैलता है
पृथ्वी
- यह सूर्य से दुरी के क्रम में तीसरा ( बुध व शुक्र के बाद आता है) गृह है तथा शुक्र व मंगल के बिच स्थित है
- पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की और भ्रमण करती है जिसे पृथ्वी का घूर्णन या परिभ्रमण कहते है
- पृथ्वी के परिभ्रमण के कारण दिन व रत बनते है इसलिय इस गति को दैनिक गति भी कहते है
- यह अपने अक्ष पर साढ़े 23 डिग्री झुकी हुई है तथा 365 दिन व 6 घंटे में सूर्य के एक चक्कर लगाती है,पृथ्वी की इस गति को परिक्रमण या वार्षिक गति कहते है
- चारों और मध्यम तापमान प्रचुर मात्रा में जल तथा ऑक्सीजन की उपलब्धता के कारण यहाँ जीवन संभव है
- यह अंतरिक्ष से अधिक जल की उपलब्धता के कारण नीला दिखाई देता है ,इसलिय पृथ्वी को नीला गृह भी कहते है
- पृथ्वी जब सूर्य के सबसे निकट होती है तो इसे उपसौर कहते है ऐसा 3 जनवरी को होता है
- जब पृथ्वी सूर्य से सर्वाधिक दुरी पर होती है तो इसे अपसौर कहते है ऐसा 4 जुलाई को होता है
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